– माता जीजाबाई शासकीय पीजी गर्ल्स कॉलेज इंदौर में आयोजित हुआ एनीमिया पर विशेष सेमिनार
इंदौर। माता जीजाबाई शासकीय पीजी गर्ल्स कॉलेज इंदौर में एनीमिया बीमारी पर विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें होम्योपैथिक चिकित्सक एवं केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर में कार्यपरिषद सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी मुख्य वक्ता था। जिन्होंने सिकल सेल और अप्लास्टिक एनीमिया पर महाविद्यालय की छात्राओं को संबोधित किया।
डॉ. द्विवेदी ने सेमिनार के विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि एनीमिया (खून की कमी) एक रक्त विकार है जिसमें सामान्य स्तर से कम लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं या प्रत्येक लाल रक्त कोशिका में हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य से कम होती है। किसी भी मामले में शरीर के चारों ओर रक्त प्रवाह में कम मात्रा ऑक्सीजन ले जाया जाता है। लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी), हीमोग्लोबिन नामक एक विशेष प्रोटीन का उपयोग करके शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाती हैं। एनीमिया कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह शरीर की खराबी है। एनीमिया एक आम रक्त स्थिति है। वहीं सिकल सेल की बात करें तो यह कई बीमारियों का एक समूह है जो खऊन में मौजूद हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है। हीमोग्लोबिन शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। यह एक वंशानुगत बीमारी है जो बच्चों को माता-पिता से मिलती है। सिकल सेल में हीमोग्लोबिन के आसामन्य अणु जिन्हें हीमोग्लोबिन एस कहते हैं वे लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बिगाड़ देते हैं जिससे वह सिकल या हंसिया (अर्धचंद्राकार) आकार का हो जाता है। जबकि लाल रक्त कोशिकाएं या आरबीसी जो स्वस्थ होती है उनका शेप गोलाकार होता है और वे छोटी-छोटी रक्त धमनियों से भी आसानी से गुजर जाती है जिससे शरीर के हर एक हिस्से और कोने तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचता है। जबकि अप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जो तब होती है जब अस्थि मज्जा (बोनमैरो) की स्टेम कोशिकाएं लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स जैसी पर्याप्त रक्त कोशिकाओं का उत्पाद करने में विफल हो जाती है। आमतौर पर तीनों प्रकार की प्रभावित रक्त कोशिकाओं को पैनसाइटोपेनिया कहा जाता है। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि किसी भी सूरत में एनीमिया को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार यह घातक साबित हो सकता है।
सेमिनार के बाद स्टाफ व छात्राओं के ब्लड सेंपल लिए
सेमिनार के दौरान डॉ. द्विवेदी ने कहा कि यदि आपको नियमित कार्य करने के दौरान थकान हो रही है, दम भर रहा है, कमजोरी लगती है, सांस लेने में तकलीफ होती है, बार-बार सिर चकराता है, चेहरे पर पीलापन दिखाई देता है, बार-बार कोई बीमारी हो जाती है, शरीर-जोड़ों में दर्द होने लगता है तो यह सब एनीमिया के लक्षण है। ऐसे में जांच कराकर इलाज लेना चाहिए। वहीं एनीमिया से बचाव के आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, मांस, अंडे, गुड़-चना इत्यादि। विटामिन बी-12 और फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे कि डेयरी उत्पाद इत्यादि। नियमित रूप से व्यायाम करें। सेमिनार के दौरान छात्राओं को एनीमिया जागरूकता पैप्लेट्स भी वितरित किए गए। जिसमें शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इसके पहले सेमिनार की शुरुआत में कॉलेज के बायोकेमेस्ट्री विभाग की एचओडी डॉ. मंगला दवे सहित अन्य स्टाफ ने डॉ. द्विवेदी का स्वागत किया। सेमिनार के आखिरी में छात्राओं ने सवालों के माध्यम से अपनी जिज्ञासा भी शांत की। वहीं जांच के लिए कॉलेज स्टाफ व छात्राओं के निःशुल्क ब्लड सेंपल भी लिए गए। समापन पर कॉलेज प्राचार्य की ओर से सेमिनार में बतौर मुख्य उपस्थित होने पर डॉ. द्विवेदी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद भी दिया।