मनोग्रसित बाध्यता विकार एक मानसिक बीमारी है, जिससे ग्रस्त व्यक्ति अपने मन और सोच पर काबू नहीं रख पाता है। इस वजह से व्यक्ति एक ही काम को करने के बारे में बार-बार सोचने लगता है या फिर एक ही काम को बार-बार करने लगता है। आइए आज विश्व योग दिवस पर कुछ योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं, जो इस बीमारी के खतरे को कम करने में सहायक हो सकते हैं…

मार्जरी आसन

मार्जरी आसन के अभ्यास के लिए पहले योगा मैट पर वज्रासन की स्थिति में बैठें, फिर हाथों को आगे की ओर फैलाकर घुटनों के बल आ जाएं। अब सांस लेते हुए कमर को नीचे की ओर करें और गर्दन को ऊपर उठाएं। कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए रीढ़ को ऊपर करें और गर्दन को नीचे की ओर झुकाएं। कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहें, फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।

मार्जरी आसन के फायदे

1.        शारीरिक मुद्रा और संतुलन में सुधार करता है।

2.       रीढ़ और गर्दन को मजबूत बनाने और स्ट्रेचिंग में सहायक है।

3.       कूल्हों, पेट और पीठ को स्ट्रेच करता है।

4.       शारीरिक-मानसिक समन्वय बढ़ाता है।

5.       पेट के अंगों जैसे गुर्दे और अधिवृक्क ग्रंथियां को उत्तेजित करता है।

6.       भावनात्मक संतुलन बनाता है।

7.       तनाव से राहत देकर मन को शांत करता है।

ये सावधानियां जरूरी

कुछ स्थितियों में मार्जरी आसन का अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है। पीठ या घुटनों में दर्द से पीड़ित लोग, गर्भवस्था के दौरान, गर्दन में चोट या दर्द, सिर की चोट जैसी स्थितियों में इसका अभ्यास न करें। योग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए किसी विशेषज्ञ से सही आसन की जानकारी जरूर ले लें। 

विपरीतकरणी आसन

विपरीतकरणी आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा कर 90 डिग्री का कोण बना लें। ध्यान रखें कि आपके तलवे ऊपर की ओर होने चाहिए। इसके बाद अपने नितंब को ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम दो-तीन मिनट तक रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसके बाद दोबारा इस योगासन का अभ्यास करें।

विपरीतकरणी आसन के फायदे

1.        विपरीतकरणी आसन करने से स्ट्रेस कम करने में मदद मिलती है।

2.       साथ ही ये शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सही करने में मदद करता है।

3.       जिससे रेस्टलेग सिंड्रोम में राहत मिलती है।

4.       वाल पोज लो ब्लड प्रेशर की समस्या को कम करता है।

5.       पैर की नसों को आराम मिलता है।

6.       पैरों में दर्द की समस्या, मसल्स् क्रैम्प से राहत मिलती है।

7.       साथ ही पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है।

8.       गहरी नींद आने में मदद

9.       मेटाबॉलिक सिंड्रोम और मेनोपॉज की वजह से होने वाली समस्याओं से राहत मिलती है।

बालासन

बालासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठें और गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं, फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुककर माथे को जमीन से सटाएं। इस अवस्था में दोनों हाथ सामने, माथा जमीन से टिका हुआ और छाती जांघों पर रहेगी। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इसके बाद सांस लेते हुए वापस वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं और सामान्य हो जाएं।

बालासन के फायदे

1.        बालासन से शरीर की खोई हुई ऊर्जा वापस आती है और मन को शांति मिलती है।

2.       इस आसन के अभ्यास से शरीर को आराम और ताजगी महसूस होती है।

3.       इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी या स्पाइनल कॉलम में राहत मिलती है।

4.       बालासन शरीर में मांसपेशियों को राहत देता है और पीठ दर्द, खासकर कमर, गर्दन और कंधों के दर्द से राहत दिलाता है।

5.       बालासन के अभ्यास से घुटने में खिंचाव आता है और राहत मिलती है।

6.       इस आसन से दिमाग शांत रहता है और तनाव व हल्के अवसाद से राहत मिल सकती है।

डॉ. ए. के. द्विवेदी

एमडी (होम्यो) , पीएचडी, एमए (योग एवं साइकोलॉजी)

सदस्य वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड, सी.सी.आर.एच., आयुष मंत्रालय, भारत सरकार

कार्यपरिषद सदस्य देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर

प्रोफेसर, एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, इंदौर

संचालक, एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर एवं एडवांस्ड योग एवं नेचुरोपैथी हॉस्पिटल, इंदौर

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