- इंफ्लुएंजा (फ्लू) वायरल बुखार है जो सर्दियों के दौरान बच्चों में आम तौर पर हो जाता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बच्चे इसका शिकार जल्दी हो जाते हैं।
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अचानक बुखार हो जाना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और बेचैनी के साथ साथ खराब गला, सरसराहट, नाक बहना और सांस प्रणाली की समस्याएं होना आदि सामान्य फ्लू के लक्षण हैं। बच्चों में फ्लू के लक्षण जुकाम और सांस प्रणाली के ऊपरी हिस्से के संक्रमण जैसे ही होते हैं। इससे मिचली, उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं।
केंद्रीय होम्योपैथी अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार में वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य तथा वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार फ्लू बहुत तेजी से फैलता है, खासकर तब जब बच्चे स्कूल के बंद कमरों में रहते हैं। जब किसी की छींक या खांसी से निकले नमी कण हवा के जरिए फैलते हैं तो सांस के जरिए दूसरे बच्चों के अंदर भी चले जाते हैं या फिर जब बच्चे नाक से बहने वाले मवाद या संक्रमित थूक के संपर्क में आते हैं। बच्चे को इससे बचाने का सबसे आसान तरीका है सालाना वैसीनेशन। पैरेंट्स को इस बारे मे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
इन बच्चों रहती है फ्लू होने की आशंका
इसके बिगड़ने से कानों से मवाद निकलना, दमा और निमोनिया जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। बिगड़ा हुआ निमोनिया गंभीर और तेजी से जानलेवा हो सकता है, खास तौर पर जब मौजूद हो। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी लक्षण बच्चों में हों, सब में अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। आम तौर पर इसका बुखार एक सप्ताह से 10 दिन तक होता है। सर्दियों में जिन बच्चों को बुखार हो, बुखार के साथ सांस प्रणाली की समस्याएं हों, बुखार के साथ सीने में जकड़न की वजह से सांस लेने में समस्या हो, निमोनिया हो, 100 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा बुखार हो, तीव्र खांसी या खराब गला हो तो उन बच्चों में फ्लू होने की आशंका रहती ही है। 95 प्रतिशत मामलों में 39 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बुखार होता है और 77 प्रतिशत मामलों में खांसी और बहती नाक होती है। इलाज असर लक्षणों के अनुसार ही किया जाता है। डॉक्टर की सलाह अनुसार ऐसी स्थिति में बच्चे को पैरासीटामोल की खुराक 48 घंटे तक देते रहना चाहिए और उसे ज्यादा से ज्यादा आराम करने, तरल आहार लेने, खास तौर पर गर्म तरल आहार लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। एक बात गौर करने वाली है कि फ्लू वायरस की वजह से होता है, उसमें एंटीबायोटिक का कोई फायदा नहीं होता, बल्कि एंटीबायोटिक लेने से पेट खराब और दस्त हो सकते हैं।