रक्षाबंधन के मौके पर आरपीएल माहेश्वरी कॉलेज में विद्यार्थियों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए विशेष कार्यशाला आयोजित

इंदौर। रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में गुरुवार को आरपीएल माहेश्वरी कॉलेज में विद्यार्थियों की स्वास्थ्य रक्षा को लेकर विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता शहर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक तथा केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार के साइंटिफिक एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी एवं विशिष्ट अतिथि तथा अन्य वक्ता के रूप में एमजीएम मेडिकल कालेज के स्कूल आफ एक्सीलेंस फार आई की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. टीना अग्रवाल थीं। जिन्होंने विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के मौके पर  शरीर को स्वस्थ रखने की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य रक्षा का संकल्प भी दिलाया।

कार्यशाला की शुरुआत में मां सरस्वती का पूजन  किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था प्राचार्य डॉ. राजीव झालानी ने की। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ. झालानी ने कार्याशाला के विषय और उद्देश की जानकारी तथा महाविद्यालय का परिचय दिया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. एके द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान में युवाओं का अधिकांश समय मोबाइल, लैपटॉप व कम्प्युटर पर बीतता है। ऐसे में उन्हें अपनी आंखों का खूब ख़्याल  रखना चाहिए क्योंकि आंखों से देखे बिना हम जान ही नहीं सकते कि दुनिया कितनी सुंदर है। साथ ही अपनी स्पाइन का भी खूब  ध्यान रखकर सर्वाइकल एवं लंबर स्पॉन्डिलाइटिस से बचना चाहिए। डॉ. द्विवेदी ने युवा विद्यार्थियों को हानि रहित होम्योपैथी तथा योग का अपने नियमित जीवन में पालन करने की सलाह भी दी। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि वर्तमान में युवाओं को सर्वाइकल और लंबर स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्या हो रही है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस तब होता है जब आपकी गर्दन में कार्टिलेज, हड्डियां, लिगामेंट्स और नर्व में  उम्र के साथ या बिना उम्र के खराब होने लगती है। पुराने दिनों में सर्वाइकल – लंबर स्पॉन्डिलाइटिस और  स्पोंडिलोसिसस को बुढ़ापे से जोड़कर देखा जाता था लेकिन वर्तमान पीढ़ी और वर्तमान जीवनशैली के साथ स्पॉन्डिलाइटिस और स्पोंडिलोसिस किसी भी आयु वर्ग के लोगों में सामने आ रही है। युवा पीढ़ी में एक ओर समस्या देखने को मिलती है और वो है वैरीकॉन्स वैंस। इन सभी समस्या में आप साधारण योग और आसन को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं। वहीं बढ़ते मोबाइल लैपटॉप के उपयोग ने आंखों के साथ ही हमारी सर्वाइकल को भी नुकसान पहुंचाया है। आंखों की समस्या और सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या से राहत पाने के लिए भुजंगासन को अपनाया जा सकता है और लंबर स्पांडिलाइटिस एवं कमर दर्द के लिए सेतुबंध आसन करने की सलाह दी। कार्याशाला के दौरान डॉ. द्विवेदी ने एक विद्यार्थी को बुलालकर योग -आसन भी करवाए, जिससे उपरोक्त समस्याओं से राहत पाई जा सकती है।

शरीर का खूब रखें ख्याल क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है :  डॉ. टीना अग्रवाल

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. टीना अग्रवाल ने भी कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने शरीर का खूब  ख्याल रखना चाहिए क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। डॉ. अग्रवाल ने आगे आंखों की विभिन्न बीमारियों  के बारे में जानकारी देते हुए उनसे बचाव के तरीक़े भी सुझाये। उन्होंने कहा कि लगातार मोबाइल, लैपटाप या कम्प्यूटर पर काम करने वालों को 20-20-20 फार्मूला अपनाना चाहिए। इस फार्मूले के तहत हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड का आराम लें और इस दौरान 20 फीट दूर स्थित किसी वस्तु को देखें। इससे आंखों की नसों को आराम मिलेगा। स्क्रीन की रोशनी को बहुत ज्यादा ब्राइट न करें। यदि आप लगातार एसी वाले वातावरण में बैठकर काम करते हैं तो भी आंखों की समस्या हो सकती है। सामान्यत: 40 साल की उम्र के बाद साल में एक बार नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं। वहीं मधुमेह के मरीजों को नियमित अंतराल से आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए। कार्यशाला के दौरान बड़ी संख्या में कॉलेज के विद्यार्थी उपस्थित हुए। अतिथि वक्ताओं का स्वागत प्रो. नमिता सुराणा, रितू जोशी, डॉ. अंजना गोरानी, प्रो. हेमा नागौरी, डॉ. राजीव झालानी, डॉ. मनीष जैन, संजीव जटाले ने किया। संचालन प्रो. हर्षिता देसाई ने किया। आभार प्रो. तरूण लंबाते ने माना।

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