कनैडियन कॉलेज ऑफ़ होम्योपैथिक मेडिसिन टोरंटो ओंटारियो द्वारा आयोजित कॉनफेरेन्स में भारतीय समय रात 11.00 से मध्यरात्रि 12.20 तक अपना व्याख्यान ऑनलाइन प्रस्तुत किया
इंदौर । श्रीमती कमलाबेन रावजी भाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज इंदौर में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष फिजियोलॉजी एंड बॉयोकेमिस्ट्री तथा सदस्य साइन्टिफिक एडवाइजरी बोर्ड, सी सी आर एच, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. एके द्विवेदी इंदौर से कनाड़ा इंटरनेशनल होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस टोरंटो कनाड़ा-2023 कॉन्फ्रेंस में भाग लेने जाने वाले थे लेकिन वीसा नहीं मिल पाने के कारण इस कॉन्फ्रेंस में सम्मिलित नहीं हो सके। लेकिन डॉ. द्विवेदी ने ज़ूम के माध्यम से अपना रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया, जिसे वहां उपस्थित सभी चिकित्सकों ने खूब सराहा और ऑनलाइन प्रश्न-उत्तर का भी दौर चला। जिसमें डॉ. द्विवेदी ने लोगों के जिज्ञासा को भी बखूबी शांत भी किया।
डॉ. द्विवेदी ने अपने 25 वर्षों के होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी को ठीक करने के अपने अनुभवों की गाथा को साझा किया। आपने अलग-अलग उम्र तथा महिला एवं पुरुषों की जानकारी साझा किया जो कि डॉ. द्विवेदी द्वारा दी गए होम्योपैथिक इलाज से पूर्णतः स्वस्थ हो चुके हैं और वर्तमान में किसी प्रकार की कोई दवा अप्लास्टिक एनीमिया के लिए नहीं ले रहें हैं। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि अप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों को शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्त्राव होने और उनका होम्योपैथी द्वारा ठीक करने की विस्तृत जानकारी दी जिससे चिकित्सकों को उनके अनुभव का लाभ भविष्य में मिल सकेगा। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि रक्तस्त्राव ज्यादा होने पर मरीजों को ब्लड और प्लेटलेट्स लगाने की सलाह भी उनके सीबीसी जाँच के आधार पर समय-समय पर दी जाती है। डॉ. द्विवेदी ने उनके द्वारा समय-समय पर की जाने वाली समाज सेवा, निःशुल्क चिकित्सा तथा एनीमिया जागरूकता रथ एवं देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी एवं वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से मुलाकात और भारत सरकार द्वारा एनीमिया तथा सिकल सेल की बीमारी पर 2047 तक जीत हांसिल करने की बात भी दोहराई। डॉ द्विवेदी ने आर.बी.सी. डब्लूबीसी एवं प्लेटलेट्स बढ़ाने तथा हीमोग्लोबिन बढ़ाने के होम्योपैथिक तरीके एवं घरेलू खान पान के बारे में भी बताया जिसे सभी ने खूब सराहा गया। डॉ. द्विवेदी के आलावा वहां पर उपस्थित अन्य चिकित्सक डॉ. वेरोनिका झामरुको, डॉ. केपी नंदकुमार, डॉ. शशि मोहन शर्मा, जे डी मिलर एवं शहरम आयोब्जदेह ने भी होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा उनके अनुभव एवं रिसर्च पेपर्स साझा किए।