- एमजीएम मेडिकल कॉलेज के फॉउनडेशन कोर्स के विद्यार्थियों के लिए आयोजित हुआ सेमिनार
- शुगर के मरीज़ों को डिस्टिल्ड वाटर में दी जाती हैं 50 मिलेसिमल होम्योपैथी की दवा
इंदौर। होम्योपैथिक दवा केवल मीठी गोलियों तक सीमित नहीं है। बदलते समय के अनुसार शुगर के मरीज़ों को मिलेसिमल होम्योपैथी की दवा डिस्टिल्ड वाटर में दी जाती है। यह काफी पुरानी चिकित्सा प्रणाली है। जिसका ईजाद 1796 में जर्मनी में सैमुअल हैनीमैन ने किया था। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति व्यक्ति का इम्युनिटी सिस्टम बूस्ट करती है। इसके कोई साइड इफैक्ट नहीं होते हैं। डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि लोगों में एक मिथ भी है कि होम्योपैथी मरीजों को उपचार धीरे-धीरे करती है जबकि ऐसा नहीं है। आपने यह भी बताया कि होम्योपैथी में मरीज़ों को स्टोराइड नहीं दिया जाता है, बल्कि जो मरीज़ उनकी किसी भी बीमारी के लिए पूर्व में यदि कोई मरीज़ स्टेरॉयड लेते रहते हैं तो होम्योपैथी चिकित्सा द्वारा उससे निजात दिलाया जाता है।
यह बात सोमवार को एजीएम मेडिकल कॉलेज में एक दिवसीय सेमिनार में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय सीसीआरएच के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य तथा देश के श्रेष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ने कही। वे कॉलेज के फर्स्ट ईयर एमबीबीएस के स्टूडेंट्स को फाउंडेशन कोर्स के तहत संबोधित कर रहे थे। डॉ. द्विवेदी ने आगे कहा कि होम्योपैथी सिर्फ़ बीमारी के नाम का नहीं, बल्कि संपूर्ण व्यक्ति का इलाज करती है। जिसे होलिस्टिक ट्रीटमेंट कहा जाता है। होम्योपैथी उपचार में दवाएं प्राकृतिक पदार्थों से बनाई जाती हैं, जो शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखते हुए स्थायी रूप से स्वास्थ्य लाभ देती हैं। इसलिए एक मेडिकल स्टूडेंट को इस संबंध में जरूरी अध्ययन और अनुसंधान करना चाहिए, ताकि समाज को इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सकें। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत एलोपैथी के साथ आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा आदि के संतुलित समन्वय से हम स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार कर सकते हैं। करीब तीन दशकों से होम्योपैथिक चिकित्सक होने के नाते मैं यह कह सकता हूं कि होम्योपैथी से हम फिलहाल शहर में तेजी से फैल रही डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल बुख़ार एवं कॉर्न और वार्ट्स जैसी तमाम बीमारियों पर भी आसानी से काबू पा सकते हैं
होम्योपैथिक दवाएं रोगी के इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करती है
डॉ. द्विवेदी ने कहा कि होम्योपैथिक दवाएं बीमारियों के लक्षणों को दूर करने के साथ-साथ मरीज का इम्युनिटी सिस्टम भी मजबूत करती है जिससे रोग के पुनः होने की संभावना भी बेहद कम हो जाती है। कैंसर के बाद की रक्ताल्पता, पैनसाईटोपेनिया, अप्लास्टिक एनीमिया, तथा पीसीओएस और इर्रेगुलर मेंसेस को भी होम्योपैथी दवा द्वारा ठीक किया जा सकता है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि आर्थराइटिस एवं सोरियसिस जैसी ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के इलाज में भी होम्योपैथी महती भूमिका निभा रही है। ठीक हुए मरीजों का प्रमाण एकत्र कर उसे विश्व स्तर पर शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित कर एविडेंस बेस विश्वसनीय साइंटिफिक डाटा तैयार किया जा रहा है। इस एक दिवसीय सेमिनार के दौरान बड़ी संख्या में एमबीबीएस मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ ही अनेक टीचर्स एवं स्टाफ मेंबर्स भी उपस्थित थे। एलोपैथी के विद्यार्थियों के लिए होम्योपैथी चिकित्सा की विशेषता के बारे में जानकारी देने हेतु आयोजित इस तरह के सेमिनार के लिए डॉ. एके द्विवेदी ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित का आभार व्यक्त किया। इस सेमिनार के कॉर्डिनेटर डॉ. सौरभ जैन थे। सेमिनार के आखिरी में मेडिकल स्टूडेंट्स ने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को लेकर अनेकों प्रश्न भी पूछे जिसके उत्तर डॉ. द्विवेदी ने दिए।