र्तमान में भागदौड़ भरे जीवन में लोगों के पास समय नहीं होता। ऐसे में उनका खानपान समय पर नहीं होता और लाइफस्टाइल में भी बदली हुई है। लेकिन क्या आप जानते हैं डायबिटीज लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारी है। यदि लाइफ स्टाइल खराब है तो डायबिटीज सबसे पहले होने वाले रोगों में से एक है। कई बार ये बीमारी जेनेटिक भी होती है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि रोग से बचाव के लिए लाइफ स्टाइल को सुधारा जाए। वहीं, यदि किसी परिवार में यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है तो भी बचाव जरूरी है। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक तथा केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार के साइंटिफिक एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी का कहना है कि डायबिटीज बॉडी के अन्य आर्गन पर असर डालता है। इस बीमारी से सीधे तौर पर किडनी, लिवर प्रभावित होते हैं। यदि डायबिटीज हुआ है तो अलर्ट होने की जरूरत है। इस बीमारी के होने पर अन्य कई बीमारियां होने लगती है। इसके अलावा भारत में डायबिटीज के रोगी बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं।  ऐसे में समय रहते डायबिटीज पर ध्यान दिया जाना चाहिए…

डॉ. द्विवेदी के अनुसार डायबिटीज के कारण ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है और कई तरह की शारीरिक परेशानियां शुरू हो जाती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि डायबिटीज आपके दिमाग पर भी बुरा असर डालती है और इसकी वजह से आप अपनी याददाश्त भी खो सकते हैं।

डायबिटीज और याददाश्त में संबंध

मस्तिष्क में होने वाली क्रियाएं पूरी तरह से ग्लूकोज पर आधारित होती है और मस्तिष्क में ग्लूकोज का सीमित होता है। मस्तिष्क सामान्य ढ़ंग से काम करता रहे इसके लिए खून से ग्लूकोज की निरंतर आपूर्ति मस्तिष्क को होती रहनी चाहिए। याददाश्त में कमी और दिमाग की प्रणाली में बाधा उच्च रक्‍त ग्लूकोज (हाइपरग्लाइसीमिया) और कम रक्‍त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया) की अवधि के दौरान होती है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित रोगियों में याददाश्त संबंधी परेशानी पायी जाती है।

क्या करता है डायबिटीज

मधुमेह रोगी में स्मृति हानि और भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है। मधुमेह अवसाद और अल्जाइमर रोग से भी जुड़ा हुआ है। मधुमेह से ग्रसित लोगों की यददाश्त में कमी या खराब रक्‍त शर्करा (ग्लूकोज संबंधित स्मृति हानि) नियंत्रित होने के कारण होती है।

कैसे होता है याददाश्त पर असर

डॉ. द्विवेदी बताते हैं कि ब्लड-ब्रेन बैरियर दिमाग में ग्लूकोज सहित पोषक तत्वों के परिवहन को नियंत्रित करता है। अपर्याप्‍त रक्‍त या बहुत ज्यादा रक्‍त ग्लूकोज जब ब्लड-ब्रेन बैरियर तक पहुंचता है तो स्मृति हानि होने की आशंका रहती है। दिमाग की चयापचय दर उच्च होती है और इसे लगातार शुगर की जरूरत होती है। इससे न्यूरोट्रांसमिशन होता है, जो सीखने की क्षमता और याददाश्‍त को प्रभावित करता है। इस प्रणाली में किसी भी प्रकार की बाधा चीजों को याद करने की क्षमता में कमी का कारण बन सकती है। अनियंत्रित मधुमेह होने पर लंबे समय तक उच्च या निम्न रक्‍त शर्करा का स्तर हिप्पोकैम्पस की खराबी का कारण बनता है। जो कि एकाग्रता, ध्यान, स्मृति और सूचना संसाधन को प्रभावित कर सकते हैं।

डायबिटीज के कारण हो जाती है ये 5 बीमारी

किडनी रोग – डायबिटीज रहने पर किडनी भी इससे सीधे तौर पर प्रभावित होती है। दरअसल, डायबिटीज के चलते ब्लड सप्लाई बाधित होती है। इसके अलावा बड़ी ग्लूकोज ब्लड शुगर की मदद से किडनी को नुकसान पहुंचाने का काम करती है। इसलिए धीरे-धीरे किडनी डैमेज होने लगती है।

हार्ट डिसीज- डायबिटीज का जुड़ाव दिल से भी देखा गया है। यदि ब्लड शुगर हाई रहता है तो इससे दिल को होने वाली ब्लड सप्लाई बाधित होती है। इसका सीधे तौर पर असर दिल पर देखने को मिलता है। ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल के अलावा डायबिटीज भी दिल को बीमार बनाती है।

मेंटल डिसआर्डर – डायबिटीज का असर ब्रेन की एक्टिविटीज पर भी पड़ता है। कमजोरी आने के कारण व्यक्ति का ब्रेन उतना एक्टिव नहीं रह पाता है। बैचेनी, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। इस बीमारी के होने पर डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।

मुंह का टेस्ट बिगड़ना- डायबिटीज का असर मुंह पर भी देखने को मिलता है। डायबिटीज से मुंह में थूक कम बनता है, इससे मुंह सूखता रहता है। लार न बनने से मुंह में कीटाणु पैदा होने लगते हैं। इससे मुंह का टेस्ट भी खराब हो जाता है।

नर्वस सिस्टम को नुकसान- डायबिटीज नर्वस सिस्टम को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। इससे नर्वस सिस्टम उतनी एक्टिवली काम नहीं करता है, जितना स्वस्थ्य व्यक्ति का करता है।

देश में डायबिटीज के करीब 8 करोड़ रोगी

एक रिसर्च के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज भारत में हैं। इसलिए भारत को डायबिटीज के मामले में दुनिया की डायबिटीज राजधानी भी कहा जाता है। यदि आंकड़ों को देखें तो मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 8 करोड़ लोग डायबिटीज की चपेट में हैं। अनुमान के मुताबिक, साल 2045 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1.35 करोड़ हो जाएगा। वर्ष 2019 से यह आंकड़ा 16 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। वहीं इसके साथ गंभीर बात ये हैं कि डायबिटीज के होने पर अन्य बीमारी भी होने लगती हैं।

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