प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के उपलक्ष्य में सात दिवसीय निःशुल्क मिट्टी चिकित्सा शिविर की शुरुआत

इंदौर। आज के समय में घर-घर से ग्लोबल वार्मिंग हो रहा है। इसकी वजह से अत्याधिक एयरकंडीशनर और आराम की अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल। हमें ज्यादा जरूरत न हो तो इनके उपयोग से बचना चाहिए। सभी को प्राकृतिक और नेचुरोपैथी चिकित्सा की ओर जाना चाहिए। आज का मानव प्राकृतिक चीजों से दूर हट रहा है जबकि उसे इन रिसोर्स का बेहतर और ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। वर्तमान में देखा जाए तो मानव ही प्रकृति को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। इंदौर में लोगों को नेचुरोपैथी से जोड़ने का कार्य जो डॉ. एके द्विवेदी द्वारा किया जा रहा है वो बेहद सराहनीय है।

यह बात शहर के वरिष्ठ सर्जन डॉ. नरेंद्र पाटीदार (अध्यक्ष आईएमए) ने एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी हॉस्पिटल द्वारा ग्रेटर ब्रजेश्वरी, पिपलियाहाना स्थित सेंटर पर रविवार से सात दिवसीय निःशुल्क मिट्टी चिकित्सा शिविर के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि कही।

विशिष्ट अतिथि डॉ. अनिल भंडारी ने कहा कि 1973 के पहले तक देश में ऑर्गेनिक खेती हुआ करती थी। फिर हरित क्रांति आई और खेती में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल भी होने लगा। और हमलोग पेस्टीसाइड वाला खाना खाकर बीमार होने लगे लेकिन हमें जानना होगा कि प्राकृतिक चिकित्सा समय की माँग है इससे सस्ता और सुलभ कोई दूसरा इलाज नहीं है। हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को यह सीखना, समझना होगा कि कैसे प्रकृति के करीब जाए। सभी को अपने समय का 10 प्रतिशत समय समाज सेवा कार्य में लगाना चाहिए मतलब प्रकृति को संजोने में लगाना चाहिए. एक समय था जब नेचुरोथैपी चिकित्सा के लिए लोग साउथ जाते थे। लेकिन डॉ. एके द्विवेदी द्वारा शहरवासियों को अब बेहतर नेचुरोपैथी चिकित्सा दी जा रही है जिससे अब काफ़ी कम लोग ही साउथ जा रहे हैं। इसके लिए डॉ. एके द्विवेदी को साधुवाद देता हूँ।

कार्यक्रम में विशेष अतिथि पार्षद राजीव जैन, पूर्व पार्षद एवं सह-मीडिया प्रभारी भाजपा मप्र टीनू जैन ने भी संबोधित किया। मनोचिकित्सक (कोकिला बेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल) डॉ. वैभव चतुर्वेदी ने एंजाइटी, अनिंद्रा आदि के लिए नेचुरोपैथी चिकित्सा की सलाह दी। पूर्व अपर संचालक जनसंपर्क डॉ. भूपेंद्र गौतम ने स्वागत उद्बोधन दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य एवं सेंटर के संचालक डॉ. एके द्विवेदी ने निःशुल्क मिट्टी चिकित्सा शिविर के बारे में जानकारी दी। बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा दिवस हर साल 18 नवंबर को मनाने हैं। इसी उपलक्ष्य में यह 7 दिवसीय शिविर आयोजित किया गया है। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि इस शिविर में खास तौर पर लोगों को मिट्टी चिकित्सा कराया जाता है। इस मडबाथ के लिए विशेष तौर पर मिट्टी तैयार करते हैं। इस मिट्टी पेस्ट के लिए पीली मिट्टी, काली मिट्टी, मुलतानी मिट्टी का संतुलित मिश्रण तैयार कर उसमें घी, दूध, दही, इत्र, गुलाब जल, चंदन, केशर, गोमूत्र, शहद, कपूर, नीम इत्यादि मिलाते हैं।  फिर से इस पेस्ट का इस्तेमाल शिविर में आए लोगों पर लेप करते हैं। इस तरह से मड बाथ लेने वालों लोगों को काफी बेहतर अनुभव स्वास्थ्य और शरीर पर होता है। शिविर में पहले दिन इंदौर सहित, रतलाम, उज्जैन, देवास से भी लोग पहुंचे और मड थैरेपी का लाभ लिया। देखने में आया कि इस बार बड़ी संख्या में युवा भी प्राकृतिक चिकित्सा लेने के लिए आकर्षित दिखाई दिए। शिविर में आने वाले पुरुष और महिला के लिए पृथक-पृथक से मड बाथ की व्यवस्था रखी गई थी। मिट्टी चिकित्सा का लाभ लेने  वालों ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि मड बाथ उन्होंने पहली बार लिया इससे उनके शरीर में काफी अच्छा अनुभव हुआ। साथ ही मड बाथ से शरीर की थकान में भी राहत का अनुभव हुआ। कार्यक्रम में अतिथि स्वागत श्री राकेश यादव, श्री दीपक उपाध्याय, डॉ. विवेक शर्मा जी ने शिविर का संचालन डॉ. जितेंद्र पूरी एवं पूर्णा दीक्षित ने किया तथा आभार श्री विनय पांडे ने ज्ञापित किया। डॉ अथर्व द्विवेदी (एमबीबीएस) तथा लखनऊ से श्री प्रभात शुक्ला जी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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