- तीन दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर
- शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली, शिक्षा स्वास्थ्य न्यास (मालवा प्रांत) ने किया आयोजन

इंदौर। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली तथा शिक्षा स्वास्थ्य न्यास (मालवा प्रांत) द्वारा तीन दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर आयोजित किया गया। पहले दिन उद्घाटन सत्र में शामिल हुए अतिथियों ने प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े फायदे और स्वयं के अनुभव साझा किए।
पहले दिन शिविर के मुख्य अतिथि इंदौर शहर के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. योगेश शाह, विशेष अतिथि वार्ड क्रमांक-50 के पार्षद श्री राजीव जैन, विशिष्ट अतिथियों में आरआर कैट के साइंटिस्ट श्री मनोज तिवारी, एडीजे श्री अविनाश शर्मा, सीनियर कंसलटेंट साइकेट्रिस्ट डॉ. वैभव चतुर्वेदी (कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर), सेंट पॉल स्कूल के फिजिकल एज्युकेशन एंड स्पोर्ट्स के प्रमुख डॉ. अविनाश यादव, रहवासी श्री सुनील चंद्रन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षा स्वास्थ्य न्यास, मालवा प्रांत के संयोजक और वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ने की। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर तीन दिवसीय शिविर की शुरुआत की।
अध्यक्षता करते हुए डॉ. द्विवेदी ने कहा कि मिट्टी न केवल खेती के लिए उपयोगी है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। मिट्टी में प्राकृतिक शीतलता और विषहरण की अद्भुत क्षमता होती है, जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होती है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि मिट्टी चिकित्सा से शरीर की गर्मी कम होती है, त्वचा रोगों में राहत मिलती है और पाचन तंत्र भी बेहतर होता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग तनाव, अनियमित खानपान और प्रदूषण से ग्रसित हैं, ऐसे में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियां जैसे कि मिट्टी चिकित्सा शरीर को संतुलित करने में मदद करती है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि नियमित रूप से मिट्टी स्नान और मिट्टी से बने लेप का प्रयोग करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तीन दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर में लोगों को दिए जाने वाली मिट्टी चिकित्सा के लिए विशेष रूप से मिट्टी का लेप तैयार किया गया है। इस लेप में चंदन पॉवडर, मुलतानी मिट्टी, कपूर, हल्दी, घी, केसर, गुलाब जल इत्यादि से युक्त प्राकृतिक मिश्रण तैयार किया गया है।
साइंटिस्ट तिवारी ने कहा कि हम कोई भी कार्य करें उसका केंद्र बिंदु हमेशा समाज की भलाई के लिए हो। वर्तमान का दौर रिसर्च का है इसी वाक्य को लेकर अपने उद्बोधन में तिवारी ने आरआर कैट द्वारा गेहूं पर किए अनुसंधान के बारे में विस्तार से बताया।
एडीजे शर्मा ने कहा कि हमारे गुणीजन वर्षों से प्राकृतिक चिकित्सा करते आ रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी चिकित्सा को लेकर मेरे मन में काफी जिज्ञासा थी। शर्मा ने कहा प्राकृतिक चिकित्सा क्या होती है वो मुझे कक्षा नौवी में था तब घर में पता चला। अब यहां मिट्टी चिकित्सा को देखकर लग रहा है कि प्राकृतिक चिकित्सा हमारे स्वास्थ्य के लिए कितनी आवश्यक है।
आज हम मानसिक रूप से अप्राकृतिक और प्राकृतिक चिकित्सा से दूर होते जा रहे हैं : डॉ. योगेश शाह
डॉ. शाह ने कहा कि आज के दौर में हम मैंटली अप्राकृतिक होते जा रहे हैं। वेस्टर्न कल्चर की चकाचौंध हम पर हावी हो रही है। नशा लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। हम प्राकृतिक चिकित्सा से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में हमें इस तरह के छोटे-छोटे आयोजन और प्रयासों से ही लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा से जोड़ना होगा या यूं कहे हमें प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लौटना होगा। यही छोटे-छोटे प्रयास से ही हम बदलाव भी ला सकते हैं।
10 से 15 मिनट का धूप स्नान व्यक्ति को डिप्रेशन से बचा सकता है- साइकेट्रिस्ट डॉ. चतुर्वेदी

साइकेट्रिस्ट डॉ. चतुर्वेदी ने जीवन में धूप और धूप स्नान के बारे में बताया। कहा कि ठंड के दौरान दिमागी खतरा बढ़ जाता है। इसे विंटर डिप्रेशन या सीजनल अफैक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) कहा जाता है। इस डिप्रेशन के कारण लोग चिड़चिड़े हो जाते हैं या उन्हें नींद हमेशा घेरे रखती है। व्यक्ति के ब्रेन में सेरोटोनिन नामक हार्मोन होता है जो खुशी वाला हार्मोन होता है। इस हार्मोन को बढ़ाने में मददगार होता है विटामिन–डी जो हमें धूप स्नान से मिल सकता है। इसलिए 10 से 15 मिनट का धूप स्नान व्यक्ति को डिप्रेशन से बचा सकता है।
पार्षद जैन ने डॉ. द्विवेदी द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाने को लेकर शुभकामनाएं दी। साथ ही कहा कि डॉ. द्विवेदी द्वारा प्रतिवर्ष कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आयोजन के माध्यम से लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़ने का मौका देते हैं। शिविर में मिट्टी चिकित्सा के फायदे जानकर आनंदित हूं और लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़ने का आह्वन करता हूं।
रहवासी चंद्रन ने प्राकृतिक चिकित्सा को लेकर उपस्थित अतिथियों व प्रतिभागियों को बधाई दी। साथ ही कहा कि जीवन में भगवान को नहीं देखा लेकिन कोरोना के दौरान सफेद कोर्ट पहने साक्षात भगवान को देखा है। सफेद कोर्ट पहने डॉक्टर्स ने असंख्य लोगों को जीवन दिया है।
प्रमाण-पत्र वितरित किए
समापन सत्र में शिविर में प्रतिभागिता करने वाले और सहयोग करने वालों को आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। इसके पूर्व विशेष रूप से तैयार मिट्टी के लेप से शिविर में आए प्रतिभागियों को मिट्टी चिकित्सा का लाभ दिया गया। बड़ी संख्या में युवाओं ने मिट्टी का लेप लगाकर धूप स्नान भी लिया। इस दौरान मिट्टी चिकित्सा लेने वाले एक प्रतिभागी ने कहा कि मेरे मन में संदेह था कि सर्दी-जुकाम वाले मिट्टी चिकित्सा नहीं ले सकते। लेकिन जब स्वयं ने सर्दी-जुकाम में मिट्टी चिकित्सा ली तो यह भ्रम भी दूर हो गया। मिट्टी चिकित्सा के बाद सर्दी-जुकाम में भी आराम लगा। साथ ही शरीर में हल्कापन महसूस हुआ। शिविर में डॉ. ऋषभ जैन, दीपक उपाध्याय, विनय पांडेय, मानसी शर्मा, रीना सिंह, श्याम वीर सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे और अपना सहयोग प्रदान किया। तीन दिवसीय शिविर में पंजीयन कराकर दो दिन प्राकृतिक चिकित्सा और मिट्टी चिकित्सा को लेकर परामर्श लेने के साथ लाभ लिया।
