• वैज्ञानिक सलाहकार मंडल, सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) के सदस्य एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्य वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ने किया यह शोध

इंदौर | दुर्लभ बीमारी हीमेटोहाइड्रोसिस (खूनी पसीना) बीमारी पर किया गया शोध अंतरराष्ट्रीय ग्लोबल जर्नल फार रिसर्च एनालिसिस में प्रकाशित किया गया है। इस बीमारी पर यह शोध वैज्ञानिक सलाहकार मंडल, सीसीआरएच, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) के सदस्य एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्य वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ने किया है। डॉ. द्विवेदी के मुताबिक हीमेटोहाइड्रोसिस एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें व्यक्ति के शरीर से पसीने की जगह खून निकलता है। यह स्थिति मरीज के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यंत कष्टदायक होती है। दुनियाभर में करोड़ों लोगों में से कोई एक ही इस बीमारी का शिकार होता है।

डॉ. द्विवेदी ने बताया कि उनके पास 17 वर्षीय एक किशोरी आई थी जो इस बीमारी से पीड़ित थी जो एक साल के होम्योपैथिक उपचार से अब पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है। छात्रा के पिता ने बताया था कि  छात्रा की हथेलियों पर खुजली होने लगी थी। इसके बाद धीरे-धीरे इस बीमारी ने असर दिखाना शुरू किया। हाथों में खुजली के साथ पसीने के साथ खून भी आने लगा। शुरुआत में छात्रा के परिजनों ने उसका इलाज अस्पताल में कराया। इसको लेकर डॉक्टर्स ने बताया कि पसीने का रंग लाल हो सकता है। कुछ ही दिनों में शरीर के अन्य हिस्सों में भी पसीने के साथ खून आने लगा। खून आने के बाद शरीर पर घाव बढ़ने लगे। काफी दिनों तक छात्रा के परिजनों ने कई जगह इलाज कराया लेकिन बीमारी का समाधान नहीं मिला। इसके बाद छात्रा के पिता ने होम्योपैथिक इलाज कराने का फैसला लिया। एक साल के इलाज के बाद छात्रा पूरी तरह ठीक हो गई है। इसी तरह, एक अन्य किशोर को भी होम्योपैथिक उपचार से हीमेटोहाइड्रोसिस बीमारी से राहत मिली है।

वहीं इस बीमारी को लेकर समाज में कई भ्रांतियां भी हैं। कुछ मरीजों के स्वजन ने बताया कि जब भी उनके पास बेटी के स्कूल या कोचिंग से फोन आता था तो उन्हें डर लगने लगता था कि कहीं फिर से खून निकलना न शुरू हो जाए। यह शोध न केवल चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि दुर्लभ बीमारियों के उपचार की नई संभावनाएं भी प्रस्तुत करता है।

हीमेटोहाइड्रोसिस कैसे होता है?

जानकारी अनुसार इस स्थिति में शरीर की सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (Sympathetic Nervous System) अत्यधिक उत्तेजित हो जाती है, जिससे त्वचा की छोटी रक्त वाहिकाएं (कैपिलरी) संकुचित (constrict)और फिर अचानक फैल (dilate) जाती हैं। इस दबाव परिवर्तन के कारण रक्तवाहिकाओं की दीवारों में दरारें आ जाती हैं, जिससे रक्त पसीना ग्रंथियों में मिलकर त्वचा से बाहर निकलने लगता है। यह स्थिति मुख्य रूप से चेहरे, माथे, आंखों के आसपास, कान, छाती और हाथों में देखी जाती है, लेकिन यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है।

हीमेटोहाइड्रोसिस के संभावित कारण:

हीमेटोहाइड्रोसिस के सटीक कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं, लेकिन कुछ संभावित कारण है जो इस प्रकार हैं –

अत्यधिक मानसिक तनाव: किसी गंभीर भय, भावनात्मक आघात या जीवन-मृत्यु की स्थिति में व्यक्ति का नर्वस सिस्टम बहुत अधिक सक्रिय हो जाता है, जिससे रक्तवाहिकाओं पर दबाव बढ़ जाता है।


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तीव्र दर्द और शारीरिक पीड़ा: कुछ मामलों में अत्यधिक शारीरिक पीड़ा या गंभीर बीमारियों के कारण भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

कुछ दुर्लभ बीमारियां: हीमेटोहाइड्रोसिस कुछ चिकित्सा स्थितियों, जैसे हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), रक्त विकार, प्लेटलेट्स की असामान्यता या ऑटोइम्यून रोगों से भी जुड़ा हो सकता है।

धार्मिक और ऐतिहासिक संदर्भ: ऐतिहासिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि यीशु मसीह ने सूली पर चढ़ाए जाने से पहले अत्यधिक भय और तनाव के कारण खूनी पसीना बहाया था।

हीमेटोहाइड्रोसिस लक्षणः

हीमेटोहाइड्रोसिस से पीड़ित व्यक्ति में देखे जाने वाले लक्षण निम्न हैं-

  • त्वचा से खून के साथ पसीना निकलना (मुख्य रूप से माथे, चेहरे, आंखों के आसपास, कान, और छाती से)
  • त्वचा का लाल या बैंगनी रंग में बदलना
  • हल्का दर्द या जलन महसूस होना
  • खून वाले क्षेत्र के आसपास की त्वचा अस्थायी रूप से सूजा जाना
  • चक्कर आना और कमजोरी
  • तनाव और घबराहट की भावना

हीमेटोहाइड्रोसिस  निदान

हीमेटोहाइड्रोसिस का निदान करने के लिए निम्नलिखित जांच की जा सकती है-

  • रक्त परीक्षण (Complete Blood Count-CBC)- यह देखने के लिए कि रक्त में कोई असामान्यता तो नहीं है।
  • त्वचा बायोप्सी (Skin Biopsy)- त्वचा की संरचना का अध्ययन करने के लिए।
  • कोगुलेशन प्रोफाइल (Coagulation Profile)- यह जांचने के लिए कि रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया सामान्य है या नहीं।
  • हार्मोनल जांच- यह देखने के लिए कि किसी हार्मोनल असंतुलन के कारण यह समस्या तो नहीं हो रही है।

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