एमजीएम मेडिकल कॉलेज में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के साइंटिफिक एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ. ए.के. द्विवेदी का उद्बोधन

इंदौर। आज हमारे शहर के लगभग 90% एलोपैथिक डॉक्टर खुद को भीतर से फिट रखने और मेंटल बूस्टअप के लिए नियमित रूप से योग कर रहे हैं। हालांकि योग एलोपैथिक मेडिसिन का हिस्सा नहीं है, लेकिन इसके परिणाम बहुत बेहतर हैं। इसी तरह कोरोना काल में बड़ी संख्या में मरीज, होम्योपैथिक की आर्सेनिक एल्बम और आयुर्वेदिक मेडिसिन और काढा का सेवन कर महामारी के दौर में खुद को सुरक्षित रखने में सफल रहे और उसी दौरान यह तथ्य भी पुख्ता हो गया कि एलोपैथिक के साथ अगर हम होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, प्राकृतिक और योग चिकित्सा आदि को मिलाकर हॉलिस्टिक अप्रोच के साथ मरीज का इलाज करेंगे तो उसके बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। इसीलिए अब सरकार भी इस तरह की कारगर चिकित्सा पर विशेष रूप से जोर दे रही है।

यह बात शनिवार दोपहर एमजीएम मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य और प्रोफ़ेसर गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज इंदौर डॉ. ए.के. द्विवेदी ने एम जी एम में एम बी बी एस के छात्रों को संबोधित करते हुए कही। मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अल्टरनेटिव मेडिसिन किसी भी डॉक्टर की कार्य कुशलता बढ़ाने में अहम रोल निभा सकती है। इससे चिकित्सक को इस बात का और सटीक ज्ञान हो जाता है कि कौन सी दवा (पैथी) कहां, कब और कैसे ज्यादा कारगर है।

जरूरत, पढ़ने की आदत और अनुशासन की

छात्र जीवन और उसके बाद बतौर डॉक्टर पेशे में अनुशासन और पढ़ने की आदत की जरूरत पर जोर देते हुए डॉ. द्विवेदी ने कहा कि मेडिकल सिस्टम मात्र रटने का सिस्टम नहीं है। क्योंकि उपचार करने के दौरान हम किसी मरीज से यह नहीं कह सकते कि इस रोग के उपचार के बारे में मैंने पढ़ा नहीं है। इस बीच डॉ. द्विवेदी ने विद्यार्थियों को माइग्रेन, गठिया, अस्थमा, पाइल्स, फिशर , फिस्चुला, किडनी की पथरी तथा वार्ट्स – कॉर्न सहित अन्य त्वचा रोग और एनीमिया जैसी रक्त जनित बीमारियों को होम्योपैथी चिकित्सा द्वारा ठीक करने के आसान नुस्खे भी समझाए। उन्होंने सिरदर्द, अनिद्रा, टेंशन, एंग्जायटी आदि के इलाज के लिए शिरोधारा की सलाह भी दी।

सेमिनार के दौरान डॉ. एके द्विवेदी कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. संगीता पानेरी के साथ।

जानें, अन्य चिकित्सा पद्धतियों की खूबियां

डॉ. द्विवेदी ने जोर देकर कहा कि यदि किसी रोग के एलोपैथिक इलाज में बार-बार एक जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा हो तो बतौर डॉक्टर हमें उसे अल्टरनेटिव मेडीसिन की सलाह जरूर देनी चाहिए। लेकिन इस तरह की सही सलाह आप तभी दे पाएंगे जब आपको अपनी चिकित्सा प्रणाली के साथ-साथ अन्य चिकित्सा पद्धतियों की खूबियों के बारे में पता होगा। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. संजय दीक्षित को इस तरह के आयोजन के लिए धन्यवाद भी दिया । स्वागत उद्बोधन कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. संगीता पानेरी ने दिया।

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