राज्यपाल जी ने कहा कि देश के प्रधान मंत्री चाहते हैं कि 2047 के बाद सिकल सेल के मरीज़ भारत में पैदा ही नहीं हो, इसके लिए सभी को मिलकर उन्मूलन का कार्य में लगना होगा
- एनीमिया/सिकल सेल एनीमिया उन्मुलन में होम्योपैथिक तथा आयुष की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए किया निवेदन
इंदौर। केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद आयुष मंत्रालय भारत सरकार में वैज्ञानिक सलाहाकर बोर्ड के सदस्य और वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगु भाई पटेल से मुलाकत की। इस दौरान डॉ. द्विवेदी ने राज्यपाल के समक्ष स्वयं के द्वारा सिकल सेल एनीमिया के इलाज में होम्योपैथिक चिकित्सा का उपयोग करते हुए सैकड़ों मरीजों की मिल रही राहत के बारे में जानकारी दी। साथ ही निवेदन किया कि यदि एनीमिया/सिकल सेल एनीमिया उन्मुलन में होम्योपैथिक तथा आयुष की सहभागिता सुनिश्चित की जाए और यदि आयुष के चिकित्सकों को इस बारे में किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग अथवा प्रशिक्षण की जरूरत हो तो मैं उसके लिए सहर्ष सदैव तत्पर रहूंगा। इस पर राज्यपाल श्री पटेल ने डॉ. द्विवेदी द्वारा होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से किए जा रहे सिकल सेल एनीमिया के उपचार की प्रशंसा की तथा एनीमिया/सिकल सेल एनीमिया उन्मुलन में होम्योपैथिक की उपयोगिता पर उनकी सेवा लेने का आश्वासन दिया।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल से चर्चा के दौरान डॉ. द्विवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को 2047 तक सिकल सेल एनीमिया मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किय गया है। वहीं हाल ही में शहडोल जिले में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 की शुरुआत भी की है। ऐसे में अब हर चिकित्सा विधा का इस्तेमाल कर सिकल सेल एनीमिया मुक्त भारत के लिए कार्य करने की जरूरत है। इसके लिए आयुष की विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के साथ ही होम्योपैथिक चिकित्सा को भी शामिल किया जाना चाहिए। क्योंकि होम्योपैथिक चिकित्सा से सिकल सेल एनीमिया के रोगियों को काफी राहत मिलने के साथ ही बेहतर परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। मैं स्वयं पिछले लगभग 20 वर्षों से भी अधिक समय से होम्योपैथिक चिकित्सा के माध्यम से अप्लास्टिक एनीमिया, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया तथा आईटीपी, एमडीएस एवं पेनसाइटोपेनिया इत्यादि जटिल बीमारी से पीड़ित मरीजों को जिन्हें पूर्व में जल्दी जल्दी ब्लड (रक्त)/प्लैटलेट्स, पेक्ड सेल इत्यादि चढ़ाना पड़ता था उनको लगातार कुछ माह तक होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करने के पश्चात उन्हें भविष्य में ब्लड (रक्त)/प्लेटलैट्स इत्यादि बढ़ते चले गए साथ ही ऐसे मरीजों को जिन्हें इस जटिल बीमारी के कारण बार-बार सर्दी, खाँसी, बुखार, दर्द, ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) इत्यादि परेशानियों से भी निजात दिलाया जा सका है, लगातार होम्योपैथिक दवाइयों के सेवन से ऐसे मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ जाती है, जिससे वे लोग अपने दैनिक कार्य आसानी से बिना बीमार हुए करने में सक्षम हो जाते हैं। ऐसे में यदि एनीमिया/सिकल सेल एनीमिया उन्मुलन में होम्योपैथिक तथा आयुष की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। यदि आयुष के चिकित्सकों को इस बारे में किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग अथवा प्रशिक्षण की जरूरत हो तो मैं उसके लिए सहर्ष सदैव तत्पर रहूंगा।
शिविर लगाकर कर रहे हैं सिकल सेल एनीमिया के मरीजों का उपचार
चर्चा के दौरान डॉ. द्विवेदी ने राज्यपाल श्री पटेल को अपने द्वारा एनीमिया/सिकल सेल एनीमिया के लिए चलाए जा रहे अभियान सहित अन्य कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी भी दी। इसमें डॉ. द्विवेदी ने बताया कि वे समय समय पर शहरी तथा ग्रामीण अंचल के क्षेत्रों में जाकर निःशुल्क होम्योपैथिक शिविर आयोजित करते हैं। इन शिविरों में आने वाले लोगों की प्राथमिक जांच के साथ ही उनमें सिकल सेल एनीमिया आदि की भी जांच की जाती है और यदि वे सिकल सेल एनीमिया के रोगी पाए जाए जाते हैं तो उन्हें निःशुल्क दवा देकर आगे के उपचार के लिए कहा जाता है।