जबलपुर पधारे केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने साझा किये जज्बात
इंदौर । कुछ माह पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू एवं वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से चर्चा के दौरान मैंने उन्हें सिकल सेल और अप्लास्टिक एनीमिया जैसी घातक बीमारियों से मरीजों को हो रही परेशानी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। दोनों विभूतियों ने इस पर यथासंभव कार्यवाही का आश्वासन भी दिया था। आम बजट 2023-24 प्रस्तुत करने के दौरान जब वित्त मंत्री ने 2047 तक सिकल सेल तथा एनीमिया से मुक्त करने की घोषणा की तो मैं आश्चर्य मिश्रित खुशी से भर गया। मुझे लगा कि वर्तमान संवेदनशील सरकार के समक्ष अगर सही मुद्दे, सही तरीके से सही जगह उठाए जाते हैं तो उन्हें न केवल सुना जाता है बल्कि शीघ्र अति शीघ्र युक्तिसंगत कार्यवाही भी की जाती है।
यह कहना है भारत सरकार, केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी का जो 2015 से लगातार, मध्य प्रदेश से एकमात्र सदस्य हैं, इंदौर के सुप्रसिद्ध डॉक्टर द्विवेदी शुक्रवार को मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस विश्विद्यालय में आयोजित होम्योपैथिक बोर्ड ऑफ़ स्टडी की मीटिंग में शामिल होने जबलपुर पधारे थे । वो कहते हैं कि अब होम्योपैथी और आयुर्वेद को पुरानी चिकित्सा पद्धति मानकर नकारने का चलन खत्म हो गया है इसके बजाय अब एलोपैथी के साथ होम्योपैथी आयुर्वेदिक और नेचुरोपैथी आदि तमाम पद्धतियों को जोड़कर हॉलिस्टिक एप्रोच के साथ इलाज करने पर जोर दिया जा रहा है साथ ही अनुसंधान भी तेज़ी से हो रहें हैं. आपने, होम्योपैथिक चिकित्सकों को और अधिक रिसर्च पेपर्स लिखने की सलाह भी आपने कहा कि जिन असाध्य बीमारी पर बहुत अच्छे परिणाम मिल रहे हैं उसे प्रकाशित करना भी ज़रूरी है।
कोरोना के खिलाफ जंग में कारगर किताब, “कोरोना के साथ और कोरोना के बाद”
कोरोना के जैसे लक्षण तथा एक बार फिर से बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के बारे में डॉक्टर द्विवेदी कहते हैं कि हमें हर तरह की सावधानी रखनी हैं, लेकिन कोरोना के डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना है, इसके अलावा एहतियातन होम्योपैथी की दवाएं चिकित्सक की सलाह से ले सकते हैं जिनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता और वो कोरोना से बचाव में बहुत अहम भूमिका भी निभाती हैं। ये तमाम जानकारियां मेरी किताब “कोरोना के साथ और कोरोना के बाद” में विस्तार से दी गई हैं। मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में सुगमता से हो सके इसके लिए मैंने मानव शरीर रचना विज्ञान विषय पर हिन्दी में भी एक पुस्तक लिखी है जिसका विमोचन मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल द्वारा दिसंबर 2022 में किया गया था, जिसमें 12 अध्याय उनके माध्यम से शरीर की रचना को हिंदी माध्यम में बहुत ही सरलता से समझाया गया है।
रोगों से बचाव के लिए जरूरी है पौष्टिक आहार
एक सवाल के जवाब में डॉ. द्विवेदी ने रक्त और बोनमैरो की बीमारी में हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाले – अप्लास्टिक एनीमिया, सिकल सेल, थैलेसीमिया इत्यादि रोगों के शुरुआती लक्षणों की जानकारी दी। साथ ही इन रोगों से बचाव के लिए जरूरी पौष्टिक आहार के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि शरीर में रक्त कमी को दूर करने के लिए हमारे घर में आसानी से उपलब्ध भुना चना, गुड़, भुनी बादाम, भुना सोयाबीन, पालक, पपीता, सत्तू , आंवला, गाजर, चुकन्दर, छुहारा, मुनक्का, अंजीर आदि का सेवन संतुलित मात्रा में नियमित रूप से किया जा सकता है।
महिलायें रखें बढ़ती उम्र के साथ विशेष स्वास्थ्य सावधानी
डॉ. द्विवेदी ने कहा महिलाओं को खासतौर पर समय-समय पर रक्त संबंधी जाँचें एवं उसके अनुरूप जरूरी उपचार कराते रहना चाहिये क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि, महिलाएं परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने की भागदौड़ में, स्वयं के स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रख पाती है और अनेक रोगों का शिकार हो जाती है जिसके कारण मोटापा, कमर दर्द, घुटने का दर्द, वैरिकोज़ वेन इत्यादि बीमारियाँ घेर लेती हैं। इसलिये उन्हें खासतौर पर अपना खयाल रखने की जरूरत है।
कैंसर में कीमोथेरेपी – रेडियोथेरेपी के बाद होने वाले खून की कमी तथा कमजोरी को होम्योपैथिक दवा द्वारा दूर किया जा सकता है. ऑपरेशन के बाद दुबारा शरीर में कैंसर नहीं पनपे उसके लिए भी होम्योपैथिक दवा का सेवन करना चाहिए। बार बार होने वाली सभी प्रकार की बीमारी जैसे पथरी, बवासीर, फ़िसर -फिश्चूला, साइनस एवं स्पाइन की परेशानी तथा वेरिकोज़ वेन को भी होम्योपैथिक इलाज से रोका जा सकता है एवं ऑपरेशन से भी बचाया जा सकता है।