दीपोस्तव का पर्व शुरू हो चुका है। हर ओर त्योहारों की रौनक और उल्लास छाया हुआ है। क्या बच्चे क्या बड़े सभी त्योहार को मनाने में लगे हैं। क्या आप जानते हैं कि त्योहार के उल्लास में सेहत की अनदेखी हो जाए तो इसका खामियाजा बाद के दिनों में उठाना पड़ता है। क्योंकि दीपोत्सव के दौरान जहां घर-घर दीप जलाकर व पटाखें छोड़कर खुशियां मनाई जाती है। लेकिन अब मौसम में बदलाव भी शुरू हो जाता है। तापमान में गिरावट के साथ अब हवा अस्वच्छ होने लगी है, जिससे स्वास्थ्य के लिए खतरा स्वाभाविक है। ऐसे में यदि हम हवा में घुलते प्रदूषण, आतिशबाजी और खानपान को लेकर थोड़ा सा सतर्क हो जाएं तो दीपावली की खुशियां बढ़ जाएंगी। तो आइए जानते हैं भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल (सीसीआरएच) के वरिष्ठ सदस्य और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य एवं देश के श्रेष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी से इस दीपावली पर किन किन जरूरी बातों पर अमल कर हम अपनी खुशियां कई गुना कर सकते हैं…

लोग त्योहार की उमंग के बीच सेहत को लेकर अत्याधिक सतर्क हो जाते हैं या बस कुछ दिन की बात कहकर दिनचर्या बिगाड़ लेते हैं। दरअसल ये दोनों ही स्थितियां उनके लिए ठीक नहीं है। जबकि संतुलित दृष्टिकोण यह है कि लोगों को स्वयं की सेहत को देखते हुए अपनी दिनचर्या में बदलाव लाना चाहिए। अन्यथा कुछ दिनों की बिगड़ी हुई दिनचर्या लंबे समय तक उनकी सेहत पर खराब असर डाल सकती है।

प्रदूषित हवा से बचें, बाहर निकले तब सतर्क रहें

मौसम में इस समय गुलाबी ठंड की आहट हो चुकी है। हवा की गति भी कम होने के साथ नमी बढ़ रही है। हवा में धुंध, स्माग के साथ दीपावली पर चलाए जाने वाले पटाखों का धुआं भी घुल रहा है। ऐसे में यदि आपको सांस की तकलीफ है तो आपको इस हवा से बचने की आवश्यकता है। यदि कोई समस्या नहीं है तो भी इस तरह की हवा व्यक्ति के लिए नुकसानदेह है, इसलिए घर से बाहर जाते हैं समय प्रदूषित हवा से बचने के साथ ही थोड़ा सतर्क रहने की भी जरूरत है।

खांसी, आखों में जलन आदि हो सकता है

प्रदूषित हवा के बीच ज्यादा समय तक रहने से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी अनेक परेशानियां हो सकती है। इसमें कुछ है खांसी, नाक-गला बंद होना, गले में दर्द, सांस लेने में परेशानी से लेकर आंखों में इन्फेकशन, जलन या पानी आना और ला होने जैसी समस्या हो सकती है। वहीं कुछ लोगों में चर्म रोग भी होने की संभावना होती है। इसके अलावा यदि अस्थमा के रोगी हैं तो प्रदूषण का स्तर जब कम हो, तभी जरूरी काम के लिए घर से बाहर निकलें। इन दिनों घर के बाहर जाकर सैर करना और कसरत करना भी न करें तो बेहतर होगा।

खानपान में रहे सतर्क

दीपावली पर मिठाइयों की खपत काफी ज्यादा होती है। वहीं यदि किसी को मिठाइयां पसंद नहीं भी है तो इस समय इनसे बच पाना उनके लिए थोड़ा मुश्किल है लेकिन त्योहार के इस माहौल में अधिक या अनियंत्रित खाने से बचना चाहिए। तली भूनी चीजें या बाहर से मंगाई जाने वाली मनपंसद मिठाइयों को लेकर भी सतर्क रहना चाहिए। अन्यथा यह पाचन तंत्र पर असर डाल सकती है और आपकी सेहत बिगाड़ सकती है। वहीं मिठाइयां या दूसरे खाद पदार्थ यदि शुगर फ्री हैं तो वे सुरक्षित हैं यह आपका एक भ्रम है। इनका अधिक प्रयोग न करें। यह ठीक है कि उसमें चीनी नहीं है लेकिन कृत्रिम मीठा और वसा अदि का अधिक सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। वहीं मिठाइयां खाते समय यह ध्यान रखें कि वो मिलावटी न हों। यदि डायबिटीज है तो पहले शुगर जांच लें और नियंत्रित है तो भी संतुलित सेवन करें। मिठाइयों के बजाय दीपावली पर फल या फिर ड्राइफ्रुट्स का प्रयोग आपकी सेहत के लिए बेहतर हो सकता है। वहीं त्याहोर के दौरान हाइड्रेट रहना या पर्याप्त पानी पीना जरूरी है। पानी के साथ आप हर्बल चाय और फलों का जूस भी ले सकते हैं।

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी देने के लिए हैं. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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