- सिकलसेल रोग उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत धार में आयोजित संकल्प-प्रयास से आशा: एक कदम जागरूकता की ओर कार्यक्रम में शामिल हुए राज्यपाल

सिकल सेल रोग उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत धार में संकल्प-प्रयास से आशाः एक कदम जागरूकता आयोजित किया गया। जिले के पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम में हुए कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने भी सहभागिता की। राज्यपाल ने कहा है कि सिकल सेल को खत्म करने के लिए स्क्रीनिंग के बाद जेनेटिक काउंसलिंग पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। धार जिले में 12 लाख लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की जा चुकी है,जिनमें से लगभग 2500 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। सिकल सेल पॉजिटिव आपस में विवाह नहीं करें। समाज में लोगों को इसकी समझाइश दी जानी चाहिए। उन्होंने आयुष विभाग द्वारा जन औषधि केंद्रों के माध्यम से दवाइयों की उपलब्धता कराने की जानकारी देते हुए पॉजिटिव पाए गए लोगों से नियमित दवाई लेने के लिए कहा है। उनको व्यायाम करने, सुपाच्य भोजन करने,ठंडे पानी से नहीं नहाने और अधिक मात्रा में पानी पीने की समझाइए भी दी है। उन्होंने सभी स्टोर्स पर दवाइयों की उपलब्धता और डॉक्टर्स द्वारा जनजागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। राज्यपाल ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में लगी प्रदर्शनी को सराहा । राज्यपाल ने सभी लोगों से उसका अवलोकन करने का आग्रह भी किया।
उच्च शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि राज्यपाल द्वारा शुरू किया गया यह अभियान निरंतर जारी है और आयुर्वेद एवं होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से भी सिकल सेल के उन्मूलन का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस अभियान को छात्र-छात्राओं के बीच भी चलाया जाएगा।
केंद्रीय राज्यमंत्री डीडी उइके ने राज्यपाल की सराहना करते हुए कहा कि वे इस बीमारी की वेदना को समझते हुए पूरे प्रदेश में इसके उन्मूलन के लिए कार्य कर रहे हैं, विशेषतः जनजातीय वर्ग के सर्वांगीण विकास की दिशा में।
केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप धार जिले में घर-घर जाकर सिकल सेल स्क्रीनिंग का कार्य किया गया है। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से समाज सेवा के रूप में इस कार्य में जुटने का आह्वान किया। राज्यपाल पटेल से कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों से उनकी स्कूल व हॉस्टल में हुई स्क्रीनिंग के अनुभव साझा किए। बच्चों ने बताया कि अस्पताल से मिलने वाली निःशुल्क दवाइयों से उन्हें इस बीमारी में राहत मिली है। कार्यक्रम के दौरान सिकल सेल स्क्रीनिंग एवं क्षय नियंत्रण में उल्लेखनीय योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने स्वागत भाषण दिया और बताया कि जिले में स्कूल,कालेजों और छात्रावासों के अलावा समय समय में लगे स्वास्थ शिविरों के ज़रिए यहां निवासियों की स्क्रीनिंग की गई है। 2047 तक सिकल सेल से मुक्ति का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कार्यक्रम में जागरूकता हेतु एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई। नोडल अधिकारी डॉ. रूही ख़ान ने सिकल सेल से संबंधित प्रस्तुति दी जिसमें जनजागरूकता, परीक्षण, काउंसलिंग और प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम में संचालन प्रवीण शर्मा ने किया और आभार नीलेश भारती ने व्यक्त किया।
सिकल सेल एनीमिया के मरीजों को होम्योपैथिक चिकित्सा से मिल रहा लाभ: डॉ. ए.के. द्विवेदी

डॉ. ए.के. द्विवेदी, संचालक, एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर एवं होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा.लि., इंदौर तथा वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड, केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (आयुष मंत्रालय, भारत सरकार) के सदस्य ने जानकारी दी कि सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित बड़ी संख्या में मरीज होम्योपैथिक उपचार के लिए इंदौर, धार, झाबुआ, बड़वानी सहित मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों तथा राज्य से बाहर से भी उनके इंदौर स्थित केंद्र पर परामर्श हेतु आते हैं।
डॉ. द्विवेदी के अनुसार, ऐसे कई मरीज एवीएन (Avascular Necrosis), बार-बार बुखार, पेट में तेज दर्द जैसी समस्याओं के साथ पहुंचते हैं। यद्यपि अब तक किसी भी मरीज को पूरी तरह सिकल सेल एनीमिया से मुक्ति नहीं मिली है, लेकिन होम्योपैथिक इलाज से उनके लक्षणों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। हालांकि उपचार के पश्चात कई मरीजों में दर्द की तीव्रता में कमी आई है, बार-बार बीमार पड़ने की प्रवृत्ति में सुधार हुआ है और कुछ मरीजों को बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। कई मामलों में हीमोग्लोबिन की गिरावट रुक गई है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। डॉ. द्विवेदी मरीजों को होम्योपैथी के साथ-साथ भारतीय खानपान और जीवनशैली में आवश्यक बदलावों के प्रति भी मार्गदर्शन देते हैं, जिससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी) मजबूत होती है और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार आता है। वे सिकल सेल रोग से पीड़ित युवाओं को विवाह से पूर्व अपने जीवनसाथी की भी सिकल सेल जांच अवश्य कराने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि इस जानकारी को छिपाकर विवाह नहीं करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस अनुवांशिक रोग से बचाया जा सके।