- व्यसन नशा मुक्ति संकल्प दिवस पर श्रीमती कमलाबेन रावजीभाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर में हुआ आयोजन
इंदौर । श्रीमती कमलाबेन रावजीभाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर पर सोमवार को व्यसन नशा मुक्ति संकल्प दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में बढ़ती नशाखोरी की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करना और युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए प्रेरित करना था। कार्यक्रम में सभी उपस्थित लोगों को नशे से दूर रहने और दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करने का संकल्प दिलाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई। मुख्य वक्ता डॉ. मनीष बिंदल थे। अध्यक्षता श्री भरत भाई शाह ने की। प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह तथा वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. राजेश बोर्डिया, डॉ. मुकेश अग्रवाल एवं डॉ. एके द्विवेदी भी उपस्थित थे।
मुख्य वक्ता डॉ. बिंदल ने कहा कि नशा एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो न केवल व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बनाती है बल्कि परिवार और समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। हमें इस समस्या से लड़ने के लिए दृढ़ संकल्प लेना होगा और समाज में इसके नाकारात्मक प्रभाव को बताते हुए जागरूक करना होगा।
अध्यक्षता कर रहे श्री शाह ने कहा कि नशा सिर्फ एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज को बर्बाद कर सकता है। हमें इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। वहीं नशा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानसिक संतुलन को भी बिगाड़ता है।
प्राचार्य डॉ. सिंह ने कहा कि युवाओं को नशे से बचाने के लिए परिवार और समाज को मिलकर प्रयास करना होगा। हमें बच्चों में बचपन से ही सही संस्कार और नशे से दूर रहने की शिक्षा देनी चाहिए। शिक्षा और जागरूकता ही नशा मुक्ति का सबसे बड़ा हथियार है। स्कूलों व कॉलेजों में नशा विरोधी अभियानों को मजबूती से लागू किया जाना चाहिए।
प्रो. डॉ. द्विवेदी ने नशे को लेकर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि व्यसन एक दीर्घकालिक बीमारी है जो मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों और बार-बार व्यसनी पदार्थों के उपयोग या संपर्क के कारण होती है। नशे के कारण मस्तिष्क में डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति को अस्थायी आनंद का अनुभव होता है। लेकिन धीरे-धीरे यह मस्तिष्क के सामान्य कार्यों को बाधित कर देता है और व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर कर देता है। डॉ. द्विवेदी ने आगे बताया कि नशे के कारण मस्तिष्क की संरचना में परिवर्तन आने लगता है, जिससे व्यक्ति की निर्णय क्षमता, याददाश्त, और भावनात्मक संतुलन बिगड़ने लगता है। नशे की लत मस्तिष्क के उस हिस्से को प्रभावित करती है, जो आत्म-नियंत्रण और तर्कसंगत सोच के लिए जिम्मेदार होता है, जिससे व्यक्ति का आत्म-नियंत्रण कमजोर हो जाता है और वह नशे की ओर और भी अधिक आकर्षित होता है। वहीं नशे के सेवन से शरीर के विभिन्न अंगों जैसे कि हृदय, यकृत और फेफड़ों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। नशे की वजह से हृदय गति अनियमित हो जाती है, रक्तचाप बढ़ जाता है, और व्यक्ति को दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, नशा करने वाले व्यक्तियों में लिवर सिरोसिस, फेफड़ों की बीमारियां और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम भी अधिक होता है।
कार्यक्रम में चिकित्सक सहित बड़ी संख्या में कॉलेज के चिकित्सा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। सभी को नशे से दूर रहने और नशा मुक्त समाज की दिशा में कार्य करने की शपथ भी दिलाई गई। संचालन डॉ. मनोज बागुल ने किया।