• शारीरिक शिक्षा और योग के माध्यम से जीवनशैली प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस सेंट पॉल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में संपन्न

इंदौर। सेंट पॉल इंस्टीट्यूट ऑप प्रोफेशनल स्टीडज में शारीरिक शिक्षा और योग के माध्यम से जीवनशैली प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय नेशनल कॉफ्रेंस संपन्न हुई। सम्मेलन के मुख्य वक्ता केंद्रीय होम्योपैथी अनुसन्धान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्य तथा वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी थे। मुख्य अतिथि डॉ. एसके यादव (प्रमुख शारीरिक शिक्षा और योग) थे।

बतौर मुख्य वक्ता नेशनल कॉफ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ. एके द्विवेदी ने कहा कि आज यहां एक ऐसे विषय पर बोलने के लिए आना मेरे लिए सम्मान की बात है जो मेरे दिल के करीब है और वर्तमान की तेज-तर्रार दुनिया में बेहद प्रासंगिक भी है।  हमारे आधुनिक युग में, जीवन जिम्मेदारियों, समयसीमाओं और चुनौतियों का भंवर बन गया है। जबकि हमने प्रौद्योगिकी और विज्ञान में अविश्वसनीय प्रगति की है। लेकिन इसकी कीमत अक्सर तनाव, चिंता और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के रूप में सामने आती है। और यहीं से न केवल एक शारीरिक व्यायाम के रूप में बल्कि जीवन के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण के रूप में योग उभरता है। योग शब्द की बात करें तो यह संस्कृत शब्द युज से उत्पन्न हुआ है। जिसका अर्थ है एकजुट होना। यह शरीर, मन और आत्मा के मिलन का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमें संतुलन और सामंजस्य का मार्ग देता है। जो हमारी जीवनशैली को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए जरूरी है। इसलिए अपनी जीवनशैली को प्रबंधित करना केवल हमारे जीवन में वर्षों को जोड़ने के बारे में नहीं है, बल्कि हमारे वर्षों में जीवन जोड़ने के बारे में है। योग केवल एक अभ्यास नहीं है, यह एक जीवनशैली है – जो संतुलन, जागरूकता और कल्याण को प्रोत्साहित करती है।

शारीरिक स्वास्थ्य –

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि आज की गतिहीन संस्कृति में, हमारा शरीर हमारी निष्क्रियता और खराब आसन संबंधी आदतों का खामियाजा भुगतता है। योग आसनों या मुद्राओं के माध्यम से शरीर को तरोताजा करता है, लचीलापन बढ़ाता है और मांसपेशियों को मजबूत करता है। सूर्य नमस्कार (सूर्य नमस्कार) और प्राणायाम (सांस पर नियंत्रण) जैसे अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं बल्कि ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ाते हैं।

मानसिक स्पष्टता और तनाव प्रबंधन

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियां तेजी से प्रचलित हो गई हैं। योग मन को शांत करने में मदद करता है और अराजकता का सामना करने में स्पष्टता देता है। ध्यान और गहरी साँस लेने के व्यायाम जैसे अभ्यास कोर्टिसोल के स्तर को कम करते हैं, जो तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन है। योग के नियमित अभ्यासकर्ता बेहतर ध्यान, भावनात्मक स्थिरता और शांति की भावना की रिपोर्ट करते हैं जो उन्हें जीवन की जटिलताओं को आसानी से नेविगेट करने की अनुमति देता है।

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बेहतर जीवनशैली विकल्प

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि योग मन की शांति पैदा करता है। जब हम योग का अभ्यास करते हैं, तो हम अपनी आदतों के बारे में अधिक जागरूक हो जाते हैं जैसे हम क्या खाते हैं, कैसे सोते हैं और दूसरों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं। यह जागरूकता बेहतर विकल्पों की ओर ले जाती है। हम स्वाभाविक रूप से स्वस्थ भोजन, पर्याप्त आराम और रिश्तों को बेहतर बनाने की ओर आकर्षित होते हैं।

आध्यात्मिक विकास

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि शारीरिक और मानसिक लाभों से परे, योग हमें अपने भीतर से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह हमें जीवन के भौतिक विकर्षणों से परे, उद्देश्य और अर्थ खोजने में मदद करता है। यह आध्यात्मिक आधार लचीलापन और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है, जिससे हम जीवन की चुनौतियों का सामना शालीनता से कर पाते हैं।

जीवनशैली विकारों को रोकना

डॉ. द्विवेदी ने कहा कि अनेक शोध और रिसर्च से पता चलता है कि योग जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और यहां तक कि हृदय रोगों से निपटने में कारगर है। अनुलोम-विलोम और शवासन जैसी सरल प्रथाओं ने इन स्थितियों को प्रबंधित करने और यहाँ तक कि उनकी प्रगति को उलटने में उल्लेखनीय परिणाम दिखाए हैं।

अपने उद्बोधन के आखिर में डॉ. द्विवेदी ने उपस्थित विद्यार्थियों और कॉलेज स्टाफ एवं अतिथियों से आह्वान किया कि हम अपने दैनिक दिनचर्या में योग को शामिल करने का संकल्प लें। भले ही यह दिन में कुछ मिनट ही क्यों न हो। हम सभी स्वस्थ, खुशहाल और अधिक संतुष्टिदायक जीवन जीने के लिए योग अपनाएं। इसके पहले नेशनल कॉफ्रेंस की शुरुआत में कॉलेज प्राचार्य डॉ. सिस्टर एलिस थॉमस और कॉलेज के अन्य स्टाफ ने मुख्य वक्ता और अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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