- एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का समापन, प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करने वालों का किया सम्मान
इंदौर। प्राकृतिक चिकित्सा बिना कठिनाई वाली चिकित्सा पद्धति है। आने वाला समय प्राकृतिक चिकित्सा का ही है। वर्तमान में हमारा रहन-सहन, खानपान और दिनचर्या काफी बदल गई है। नहीं तो पुराने समय में हम कई किलोमीटर तक पैदल चलते थे। दैनिक के छोटे-छोटे कार्यों में भी शारीरिक श्रम होता था। पहले जब मोबाइल फोन और टेलिफोन नहीं होते थे तो हम संदेश देने के लिए दौड़ लगाते थे। फिर टेलीफोन आया तो कॉल आने पर उसे उठाने के लिए टेलिफोन के पास जाते थे। लेकिन आज मोबाइल तो हमारे हाथों में ही रहता है तो हमें श्रम नहीं करना होता है। अब हम एडवांस हो गए हैं। शारीरिक क्रिया लगभग ना के बराबर होती है। पहले के समय पर्यावरण भी दूषित नहीं था।
यह बात इंदौर संभागयुक्त श्री मालसिंह जी ने एडवांस योग एवं नेचुरोपैथी हॉस्पिटल द्वारा ग्रेटर ब्रजेश्वरी, पिपलियाहाना स्थित सेंटर पर आयोजित प्राकृतिक चिकित्सा शिविर के समापन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। संभागायुक्त मालसिंह जी ने कहा कि पुराने समय में हमारी दिनचर्या व्यवस्थित हुआ करती थी। हम टाइम से सोते थे टाइम से उठते थे। लेकिन आज की युवा पीढ़ी देर से सोती है और देर से ही उठती भी है। इस तरह की दिनचर्या कहीं ना कहीं व्यक्ति को बीमार भी कर रही है। और बीमारी होने पर हम लोग एलोपैथी चिकित्सा को अपनाते हैं जिसके कई बार साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं। लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा से हमें बेहतर उपचार के साथ ही बिना साइड इफेक्ट के राहत मिलती है। प्राकृतिक चिकित्सा कारगर है और इसका प्रचार-प्रसार व्यापक स्तर पर किया जाना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती अंतरबाला सिंह और विशेष अतिथि डॉ. वैभव चतुर्वेदी जी (मानसिक रोग चिकित्सक, कोकिला बेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौर) थे। अध्यक्षता सेंटर संचालक एवं केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद् आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के मेंबर डॉ. एके द्विवेदी ने की।
श्रीमती सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा को महिलाएं सबसे ज्यादा फॉलो करती हैं। क्योंकि घर में यदि कोई बीमार हो जाए तो 2-3 दिन तक स्वयं घरेलू औषधियों से इलाज करती हैं। जिसमें तुलसी, काली मिर्च, लौंग, अदरक, हल्दी इत्यादि का इस्तेमाल कर बीमार सदस्य को उपचारित करती है। मैंने भी अपने माइग्रेन का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से ही किया है जिससे काफी राहत मिली है। मैं तो कहूंगी कि एलोपैथी से बचने का अच्छा तरीक है प्राकृतिक चिकित्सा।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा एंजाइटी, अनिंद्रा आदि के कारण व्यक्ति काफी परेशान रहता है। एंजाइटी की समस्या ज्यादातर विद्यार्थियों में देखने में आती है। इसके कारण वे ठीक से पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं जिससे उनके परफार्मेंस में कमी आती है। लेकिन आपसे कहना चाहूंगा कि प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से पीड़ित को काफी हद तक फायदा होता है।
स्नायु दुर्बलता को दूर करने में सहयोगी है प्राकृतिक चिकित्सा : डॉ. द्विवेदी
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. द्विवेदी ने प्राकृतिक चिकित्सा की महत्ता बताई। आपने कहा कि लोगों को स्वस्थ रहने के लिए नेचुरोपैथी अपनाना चाहिए। जितना हम नेचर के करीब रहते हैं उतना हम स्वस्थ रहते हैं। आजकल लोग नेचर से दूर भाग रहे हैं जो बीमारियों का कारण है। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि आज देखने में आता है कि अधिकांश लोग स्नायु दुर्बलता का शिकार हो रहे हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की नसों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द, सुन्नपन और झुनझुनी जैसे लक्षण हो सकते हैं। व्यक्ति थोड़ी सी भी मेहनत करने पर थक जाता है, याददाश्त शक्ति कमजोर हो जाती है, हंसी मजाक में भी या साधारण बातचीत में भी स्नायु दुर्बलता से ग्रसित व्यक्ति उत्तेजित हो जाता है तथा रोने लगता है। स्नायु दुर्बलता के कई कारण हो सकते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा से स्नायु दुर्बलता का उपचार करने के लिए कई तरीके हैं। इनमें शामिल है संतुलित आहार, व्यायाम, मालिश, योग, अरोमाथैरेपी, ध्यान, मिट्टी चिकित्सा इत्यादि। कार्यक्रम में प्राकृतिक चिकित्सा में विशेष योगदान देने वाले चिकित्सों को संभागायुक्त द्वारा सम्मानित किया गया। वहीं दो दिवसीय शिविर में बड़ी संख्या में लोगों ने निःशुल्क मिट्टी चिकित्सा का लाभ भी लिया। इसके पूर्व कार्यक्रम के प्रारंभ मं अतिथियों का स्वागत राकेश यादव, दीपक उपाध्याय, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. जितेंद्र पूरी, विनय पांडे आदि ने किया। संचालन डॉ. विवेक शर्मा ने किया। आभार डॉ. जितेंद्र पुरी ने माना। कार्यक्रम के आखिर में सभी अतिथियों ने पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प लेते हुए आंवले के पौधे का रोपण भी किया।